आरबीआई बैंक लॉकर नियम 2025: चोरी या नुकसान होने पर अब मिलेगा ₹40 लाख तक का मुआवजा, जानें पूरी गाइडलाइन
बैंक लॉकर हमारे कीमती सामान और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का एक भरोसेमंद तरीका माने जाते हैं। हालांकि, कई बार लॉकर में चोरी, आग लगने या अन्य कारणों से नुकसान की खबरें सामने आती रही हैं, और पुराने नियमों के तहत ग्राहकों को अक्सर कोई मुआवजा नहीं मिलता था।
इस समस्या को दूर करने और ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक लॉकर से जुड़े नए नियम लागू किए हैं।

ये नियम ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं और बैंकों को अधिक जवाबदेह बनाते हैं।
क्या हैं आरबीआई के नए बैंक लॉकर नियम 2025?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देश 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होंगे।
इन नियमों का प्राथमिक उद्देश्य बैंक लॉकर सेवाओं में ग्राहकों की सुविधा, पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इन नियमों की कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
- मुआवजे का प्रावधान: यदि बैंक की लापरवाही के कारण लॉकर में रखा सामान चोरी हो जाता है या नष्ट हो जाता है, तो ग्राहक को अधिकतम ₹40 लाख तक का मुआवजा मिलेगा।
- पारदर्शी अनुबंध: बैंक अब ग्राहकों को एक स्पष्ट और पारदर्शी लॉकर समझौता (अनुबंध) प्रदान करेंगे। यह समझौता मुहर लगे कागज पर होगा और इसमें ग्राहक और बैंक दोनों की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से लिखी होंगी। अनुबंध की एक कॉपी ग्राहक और एक बैंक के पास रहेगी।
- गतिविधि की सूचना: बैंक ग्राहकों को उनके लॉकर की हर गतिविधि की सूचना SMS और ईमेल के माध्यम से देंगे।
- बढ़ी हुई सुरक्षा: बैंक को CCTV निगरानी सहित सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करना होगा।
क्यों जरूरी थे ये नए नियम?
पिछले कुछ वर्षों में लॉकर से चोरी और नुकसान की कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां बैंक अक्सर सुरक्षा में चूक के बावजूद अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते थे।
ग्राहक मुआवजा पाने में असमर्थ थे क्योंकि पुराने नियमों में ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी।
उदाहरण के लिए, दिल्ली की एक ग्राहक रेखा शर्मा के लॉकर से 2022 में ₹10 लाख की ज्वेलरी चोरी हो गई थी, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला क्योंकि बैंक ने इनकार कर दिया।
नए नियम इस स्थिति को बदलते हैं और यदि बैंक की गलती साबित होती है, तो ग्राहक मुआवजा पाने के हकदार होंगे।
यह भी सामने आया है कि कुछ बैंक पुराने नियमों के तहत लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी से बचते थे, जिससे ग्राहकों का भरोसा कम हो रहा था। इसलिए, आरबीआई ने लॉकर सेवाओं को सुरक्षित बनाने और बैंकों को जवाबदेह ठहराने के लिए ये कदम उठाए हैं।
बैंक कब देगा मुआवजा और कब नहीं?
नए नियमों के तहत, बैंक चोरी, आग लगने, बिल्डिंग ढहने या बैंक कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी करने जैसी स्थितियों में हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार होंगे, यदि यह बैंक की लापरवाही के कारण हुआ हो।
इन विशिष्ट मामलों में बैंक ₹40 लाख तक का मुआवजा देगा, जैसा कि 2025 के नियमों में बताया गया है।
ध्यान दें: कुछ पुराने दिशानिर्देशों (जनवरी 2022/अगस्त 2022 से प्रभावी) में बैंक की देनदारी लॉकर के वार्षिक किराये का 100 गुना तक बताई गई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि ₹40 लाख की सीमा 2025 से बैंक की लापरवाही से होने वाले नुकसान के लिए एक नई, उच्चतर सीमा निर्धारित करती है।
हालांकि, प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप या बिजली गिरने के कारण लॉकर को होने वाले नुकसान के लिए बैंक उत्तरदायी नहीं है और ऐसे मामलों में कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।
लॉकर में क्या रख सकते हैं और क्या नहीं?
आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार, बैंक लॉकर में कुछ चीजें रखने की अनुमति नहीं है।
- क्या रख सकते हैं: आप लॉकर में गहने, प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज, लोन डॉक्यूमेंट्स, जन्म या विवाह प्रमाणपत्र, बीमा पॉलिसी, वसीयत और कानूनी तौर पर वैध वस्तुएं रख सकते हैं।
- क्या नहीं रख सकते: बैंक लॉकर में नकदी (Cash) या करेंसी रखना सख्ती से मना है। नकदी रखने की अनुमति इसलिए नहीं है क्योंकि इससे टैक्स चोरी और मनी लॉन्डरिंग की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, हथियार, गोला-बारूद, ड्रग्स, विस्फोटक, प्रतिबंधित (Contraband) सामग्री, सड़ने-गलने वाली या रेडियोएक्टिव वस्तुएं और ऐसी कोई भी चीज जो बैंक या ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बने, उन्हें लॉकर में नहीं रख सकते।
नोएडा का एक मामला सामने आया था जहां बैंक लॉकर में रखे ₹5 लाख नगद को दीमक खा गई थी। बैंक ने इस मामले में ग्राहक को मुआवजा देने से इनकार कर दिया क्योंकि ग्राहक ने लॉकर में नकदी रखकर नियमों का उल्लंघन किया था।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि बैंक लॉकर में रखे दस्तावेजों को दीमक खा जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की होगी क्योंकि दस्तावेजों को सुरक्षित रखना बैंक की जिम्मेदारी है और दीमक लगना बैंक की लापरवाही मानी जाएगी।
मुआवजा पाने की प्रक्रिया क्या है?
यदि आपके बैंक लॉकर में रखे सामान को नुकसान होता है और आपको मुआवजा पाने की आवश्यकता है, तो निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करें:
- लिखित शिकायत: सबसे पहले बैंक मैनेजर को घटना की लिखित शिकायत दें।
- FIR दर्ज करें: संबंधित पुलिस स्टेशन में FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कराएं。
- उच्च अधिकारी को सूचित करें: CCTV फुटेज या अन्य दस्तावेजों के साथ अपनी शिकायत बैंक के उच्च अधिकारी को भेजें।
- प्रमाण प्रस्तुत करें: मुआवजे के दावे के लिए लॉकर में रखे सामान की कीमत का प्रमाण (जैसे बिल, फोटो) आवश्यक है।
- बैंक की गलती: बैंक की गलती साबित होने पर आपको अधिकतम ₹40 लाख तक का मुआवजा मिल सकता है।
किन बैंकों पर लागू होंगे ये नियम?
आरबीआई के ये नए नियम भारत के सभी सरकारी और निजी बैंकों पर लागू होंगे जो लॉकर सुविधा प्रदान करते हैं।
इनमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), एचडीएफसी बैंक (HDFC), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI), एक्सिस बैंक (Axis), बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), यूनियन बैंक (UBI) आदि सभी प्रमुख बैंक शामिल हैं।
लॉकर इस्तेमाल करते समय ग्राहकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
नए नियमों का लाभ उठाने के लिए ग्राहक के रूप में आपको भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- लॉकर अनुबंध की एक प्रति अपने पास रखें और उसे ध्यान से पढ़ें।
- लॉकर में रखे सामान की कीमत का प्रमाण (बिल, फोटो) जरूर रखें। आप इन्हें क्लाउड स्टोरेज में भी सुरक्षित रख सकते हैं।
- समय-समय पर अपने लॉकर को विजिट करते रहें ताकि किसी भी गड़बड़ी को तुरंत पकड़ा जा सके।
- किसी भी अन्य व्यक्ति को अपनी लॉकर की चाबी या एक्सेस न दें।
- जब आप लॉकर विजिट करें तो बैंक के रजिस्टर में अपनी एंट्री जरूर चेक करें।
निष्कर्ष:
आरबीआई के नए बैंक लॉकर नियम 2025 आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं। ये नियम ग्राहकों को सुरक्षा की गारंटी देते हैं और बैंक की जिम्मेदारी तय करते हैं।
इन नियमों के बारे में जानकारी रखना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो बैंक लॉकर का इस्तेमाल करता है।
यह लेख आपको इन नियमों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है ताकि आप आत्मविश्वास से बैंक लॉकर सेवाओं का लाभ उठा सकें।

मैं कल्पेश शर्मा हूँ, एक अनुभवी कंटेंट राइटर जिसे लिखने का 8+ साल का अनुभव है मेरे लिखे गए कंटेंट में हमेशा स्पष्टता, SEO ऑप्टिमाइजेशन और यूजर एंगेजमेंट पर ध्यान दिया जाता है। हर प्रोजेक्ट के लिए मैं एक रिसर्च-ड्रिवन अप्रोच अपनाता हूँ ताकि उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय कंटेंट प्रदान कर सकूं। मेरा लक्ष्य हमेशा ऐसा कंटेंट तैयार करना होता है जो पाठकों के लिए प्रासंगिक हो और क्लाइंट्स के व्यापारिक लक्ष्यों को सपोर्ट करें।